कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ अर्थ: हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद https://shivchalisas.com